नई 150 बसों के गीयर लीवर बदलने को टाटा कंपनी राजी

परिवहन निगम की बसों में आए दिन गीयर लीवर टूटने की घटनाओं के बाद टाटा कंपनी सभी 150 बसों के गीयर लीवर बदलने को राजी हो गई है। लेकिन प्रबंधन ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया है। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान का कहना है कि सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ रोड ट्रांसपोर्ट (सीआईआरटी) के विशेषज्ञों की जांच रिपोर्ट के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी। प्रबंध निदेशक का कहना है कि यदि सीआईआरटी की जांच रिपोर्ट में गीयर लीवर के डिजाइन में खामियां मिलीं तो कंपनी को सभी बसें वापस लेनी हाेंगी। टाटा कंपनी की ओर से परिवहन निगम को मुहैया कराई गईं 150 में से तीन बसों के गीयर लीवर टूट चुके हैं। इसके बाद परिवहन निगम ने इन सभी बसों के संचालन पर रोक लगा दी है। साथ ही कंपनी का भुगतान भी रोक दिया गया है। इस बीच टाटा कंपनी के अधिकारियों ने सभी बसों के गीयर लीवर बदलने का प्रस्ताव रखा है। लेकिन प्रबंध निदेशक ने इससे साफ इंकार कर दिया है। प्रबंध निदेशक का कहना है कि जांच में खामियां पाई जाती हैं तो बसों को लौटाया जाएगा। परिवहन निगम को टाटा कंपनी की ओर से मुहैया करायी गई 150 बसों में से कई के गीयर लीवर टूटने की घटनाओं के बाद अधिकारियों, तकनीकी विशेषज्ञों की दो टीमें हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश भेजी गई हैं। ये टीमें दोनों राज्यों में परिवहन निगम के अधिकारियाें से संपर्क कर इस बात की जानकारी जुटाएंगी कि उनके यहां गीयर लीवर टूटने की घटनाएं तो नहीं हुई हैं? जांच में यह बात सामने आई है कि टाटा कंपनी ने गीयर चैंबर छोटा करने के लिए लीवर में बदलाव किया था। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान का कहना है कि टाटा कंपनी के विशेषज्ञों का कहना है कि नई बसों का गीयर बाक्स एक ही व्यक्ति उतार सके, इसके लिए उसे छोटा कर दिया गया। इसी वजह से गीयर लीवर में भी बदलाव किया गया। जबकि चालकों का कहना है कि पूर्व मुहैया कराई गई बसों का गीयर लीयर कारों जैसा है, जबकि नई बसों का गीयर लीवर अजीबोगरीब है। गीयर लीवर पर तमाम विशेषज्ञ भी सवाल उठा रहे हैं। परिवहन निगम प्रबंधन की ओर से नई बसों को खरीदते समय विभागीय अधिकारियों, तकनीकी विशेषज्ञों के साथ ही चालकों की टीम भी संबंधित कंपनी के प्लांट में भेजी जाएगी। चालकों की टीम गाड़ियों को चलाकर उनकी गुणवत्ता परखेगी। साथ ही यह जानकारी देंगे कि बसों के चलाने में उन्हें क्या दिक्कतें आ रही हैं।